अपने देश में कई राष्ट्रीयकृत बैंक हैं ,फिर भी कुछ लोग अपनी कथित धन-राशि विदेशी
बैंकों में ही क्यों जमा करते हैं ? इससे तो उनकी बदनीयती साफ़ झलकती है .
वे जिसे अपना धन समझ रहे हैं , वह तो वास्तव में इस देश की माटी से हासिल
पूँजी है , जिसे उनके द्वारा टैक्स चोरी के लिए देश के बाहर के बैंकों में
जमा किया जाता है .अगर यह दौलत साफ़-सुथरी होती और उनके दिल भी पाक-साफ़ होते ,तो ऐसे लोग यह रूपया अपने ही देश के सरकारी बैंकों में जमा करते . उन बैंकों के माध्यम से भले ही उन्हें विदेशों में पैसों की जरूरत होने पर राशि का हस्तांतरण हो जाता .यह माना जा सकता है कि कुछ लोगों को अपने बेटे-बेटियों की विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए ,या विदेश में स्वयं के अथवा अपने किसी नाते-रिश्तेदार के इलाज के लिए भी राशि की ज़रूरत हो सकती है , दूसरे देशों में उद्योग-व्यापार में निवेश अथवा समाज-सेवा के कार्यों में दान देने के लिए भी पूँजी की जरूरत होती है .अगर ऐसे प्रयोजनों के लिए कोई अपना रूपया विदेश भेजना चाहे तो उसे अपने देश के किसी सरकारी बैंक के माध्यम से भेजना चाहिए ,ताकि उसका पूरा हिसाब देश की सरकार के पास रहे ,लेकिन यहाँ तो पता नहीं ,किस जरिये से देश की दौलत विदेशी बैंकों में कैद हो रही है .कुछ लोग अपने ही देश की लक्ष्मी का अपहरण कर रहे हैं .
वह धन विदेशों में किस काम में लगाया जा रहा है ,कौन देखने वाला है ? हो सकता है इस दौलत का इस्तेमाल वे अपने ही देश के खिलाफ साजिश रचने में कर रहे हों ! ऐसे लोगों के नाम बेनकाब होने ही चाहिए . .पारदर्शिता के इस युग में इन सफेदपोश डाकुओं के नाम गोपनीय रखना किसी भी
मायने में उचित नहीं है . .ऐसे बेईमानों का मुँह काला करके सड़कों पर उनका
जुलूस निकाला जाना चाहिए और चौक-चौराहों पर जूतों की मालाओं से ' नागरिक
अभिनन्दन ' भी होना चाहिए .देश का धन विदेशी बैंकों में सीधे जमा करने की आज़ादी
पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए . भारत में विदेशी बैंकों की शाखाएं हैं तो केन्द्र सरकार उन्हें साफ़ -साफ़ यह निर्देश जारी करे वे किसी भी भारतीय नागरिक अथवा अप्रवासी भारतीय का रूपया भारत सरकार के अनापत्ति-प्रमाण पत्र के बिना अपने बैंक में जमा नहीं करें.! .देश में संचालित विदेशी बैंकों का दिन-प्रतिदिन पूरा हिसाब भारतीय रिजर्व बैंक को भी अपने पास अनिवार्य रूप से रखना चाहिए . (स्वराज्य करुण )
बुधवार, 29 अक्टूबर 2014
मंगलवार, 14 अक्टूबर 2014
घातक बीमारियों की दवाइयां टैक्स-फ्री होनी चाहिए !
ह्रदय रोग ,कैंसर और मधुमेह जैसी घातक और खर्चीली बीमारियों में लगने वाली
दवाइयों को पूरे देश में टैक्स -फ्री कर देना चाहिए . या फिर सरकारी-गैर
सरकारी दोनों तरह के अस्पतालों में इनके मुफ्त इलाज की अनिवार्य व्यवस्था
होनी चाहिए .बीमारी से ज्यादा तो इनके इलाज का खर्चा मरीज के प्राण निकालने
को तैयार रहता है. गरीब ,निम्न मध्यम और मध्यम वर्गीय परिवारों में
दुर्भाग्य से अगर किसी को ऐसी कोई बीमारी हो जाए तो उस परिवार की आर्थिक
हालत एक न एक दिन दयनीय हो जाती है.
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